इन तीन राज्यों और दो शहरों ने कोरोना की चुनौती को पहाड़ बना दिया है
सुमन कुमार
देश के तीन राज्य कोरोना से लड़ाई में पिछड़ते दिख रहे हैं। महाराष्ट्र, तमिलनाडु और दिल्ली में जिस तरह से कोरोना संक्रमण के कन्फर्म मामले मिल रहे हैं उनसे ऐसा लग रहा है इन राज्यों में लॉकडाउन का प्रभावी क्रियान्वयन नहीं हो रहा है। हालात किस हद तक खराब हैं उसे एक सामान्य आंकड़े से समझ सकते हैं। शनिवार सुबह 8 बजे तक स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट पर डाले गए डाटा के अनुसार पूरे देश में अभी तक कोरोना के 7447 कन्फर्म मामले सामने आए हैं। इनमें से करीब 46 फीसदी यानी 3388 मामले अकेले इन तीनों राज्यों में हैं। महाराष्ट्र में 1574, दिल्ली में 903 और तमिलनाडु में 911 कोरोना पॉजिटिव मामले हैं।
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इन तीन राज्यों कि अलावा जो अन्य राज्य महामारी के खिलाफ इस अभियान की कमजोर कड़ी साबित हो रहे हैं उनमें राजस्थान-553 (मौत—3), तेलंगाना-473 (मौत—7), मध्य प्रदेश- 435 (मौत—33), यूपी-431 (मौत—4), केरल-364 (मौत—2), आंध्र प्रदेश-363 (मौत—6) और गुजरात-308 (मौत-19) शामिल हैं। इन सात राज्यों में कुल मिलाकर 2619 कोरोना मामले हैं। ये राष्ट्रीय आंकड़े का 39 फीसदी होता है। यानी देश के कुल 10 राज्यों में देश के संपूर्ण कोरोना मरीजों का करीब 85 फीसदी हिस्सा पाया गया है। अगर आबादी के हिसाब से देखें तो इन दस राज्यों में देश की कुल आबादी का 60 फीसदी हिस्सा रहता है।
आंकड़ों की बात जानें दें तो देश के दो सबसे बड़े महानगर दिल्ली और मुंबई इस वक्त कोरोना के ढेर पर बैठे हैं। दिल्ली में 903 और मुंबई में 850 मामले सामने आ चुके हैं। सबसे बड़ा खतरा मुंबई पर मंडरा रहा है जहां दुनिया की सबसे बड़ी स्लम आबादी धारावी में रहती है और वहां कोरोना के कई कन्फर्म मामले सामने आ चुके हैं। इस इलाके में संक्रमण पर काबू पाना प्रशासन के लिए बहुत बड़ी चुनौती है क्योंकि अन्य सभी कामों के लिए लॉकडाउन कराया जा सकता है मगर शौचालय के इस्तेमाल के लिए वहां रोज सुबह लंबी कतारें लगती हैं। कई लाख की आबादी वाले धारावी में कई परिवारों के लिए एक शौचालय ही उपलब्ध हो पाता है। इसके अलावा इस स्लम में एक ही कमरे में कई-कई लोग रहते हैं। सारे घर एक दूसरे से सट कर बने हैं जिसके कारण सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करीब-करीब असंभव हो जाता है। यही नहीं मुंबई में जो आवासीय कालोनियां हैं वहां भी हालात बहुत बेहतर नहीं है। दशकों से मुंबई में लोगों के लिए आवास एक बड़ी चुनौती रही है और एक-एक कमरे में कई कई लोग जीवन बसर करते हैं।
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दूसरी ओर दिल्ली में भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराना प्रशासन के लिए चुनौती हो रहा है। दिल्ली की कई पुनर्वास कॉलोनियों में गलियां इतनी संकरी हैं कि वहां एक साथ दो साइकिल गुजरना भी मुश्किल होता है। जाहिर है कि अनिवार्य वस्तुओं की खरीद के लिए लोगों के निकलने पर भी संक्रमण का खतरा बना रहता है। यही हाल दिल्ली की झुग्गी बस्तियों का भी है। ये महज संयोग नहीं है कि दिल्ली हो या मुंबई, कोरोना संक्रमण के सबसे अधिक मामले घनी आबादी वाले इलाकों से ही सामने आ रहे हैं। खासकर उन जगहों से जहां लोगों ने लॉकडाउन के आदेशों की धज्जियां उड़ा दी हैं। जाहिर है कि प्रशासन को इन दोनों महानगरों की स्थिति को संभालने के लिए अब लॉकडाउन से आगे की कोई रणनीति बनानी होगी।
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